Deepika mishra

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Aug-2022

#चाय
#बारिश
#और_तुम
चाय पर ही क्यों मिलना...

मिनरल वाटर की बॉटल हाथ मे लिए मैं तो  किसी साधारण से प्लेटफार्म में खड़े  तुम्हारा इंतजार कर सकती थी, किसी तय की गई जगह पर मैं तुम्हारी प्रतीक्षा में घण्टो बैठ सकती थी, कभी अचानक भी मैं तुम्हे मिलने के लिए बोल सकती थी,    हो सकता कभी सिर्फ तूमसे मिलने मैं तुम्हारे शहर आ जाती, होने को तो कुछ भी हो सकता था मगर मेरे मन में हमेशा सिर्फ एक डर था..... मैं तुमसे मिलने आऊं भी तो क्यों, क्या तुम कभी मुझसे मिले हो,   किसी ऐसी  जगह!      जहां हम दोनों साथ साथ रहे, और तुमने अजनबियों जैसा व्यवहार न किया हो,   उस हर जगह जहां तुम्हारी मौजूदगी के खातिर मैं उपस्थित थी तुमने मेरी पहचान से ही इनकार किया, 
वो हर इंसान जो मुझे तुमसे पहले से जानता था तुमने उसके सामने कभी मुझे दोस्त की तरह भी स्वीकार नही किया, जब जब मुझे लगा तुम पर मेरा भी थोड़ा अधिकार है तुमने खुद को छिपा लिया... अपने कदम पीछे हटा लिए,   कभी तुम्हारी मौजूदगी में किसी ने मुझसे कुछ कहा हो, और मैंने उत्तर की अपेक्षा तुमसे की हो मगर तुमने सुनकर भी अनसुना कर दिया और मैं खामोशी से तुम्हारी तरफ देखती रही पर तुमने नजरें ही चुरा ली होंगी.... मिलने को तो हम कभी भी मिल सकते थे पर नही , मुझे अजनबी भीड़ कभी पसंद नही थी, मैंने हमेशा तुम्हारी इस अजनबियत में अपने बढ़ते कदम पीछे रख लिए... मैंने तुम्हारा हाथ तो नही पकड़ा पर दोस्ती का हाथ छुड़ा जरूर लिया, मैंने कभी जताया तो नही पर मुझे इतना बुरा लगा जितना कभी किसी को लगना नही चाहिए,  तुम्हारा नजरअंदाज करना दुनिया की सबसे बेरुखी शय थी मेरे लिए..... जरूरी नही इंसान को दूसरे इंसान की तरह रहना सोचना या किसी से प्यार करना चाहिए मगर कुछ चीज़ें ख़्वाब सी होती है जो कभी जहन से बाहर नही निकलती और फिर तुम तो एक इंसान हो.... 
हसरत रहेगी!    हमेशा मेरे ख्वाबों में रहो... जहां  मुकम्मल मेरा साथ बिना किसी डर से निभाते हो ।

बारिश

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8 Comments

Punam verma

07-Aug-2022 09:34 PM

Very nice

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Abhinav ji

07-Aug-2022 09:26 AM

Very nice

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Sachin dev

06-Aug-2022 09:20 PM

Very nice 👍

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